तूफान की तबाही मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग 02 लेखनी कहानी -10-Jul-2022
रुदाली की मम्मी सविता को नींद ही नही आरही थी। ब तरफ से मौसम बहुत खराब होता जारहा था बिजली कड़क कड़क कर चमक रही थी।
सविता की अपने पति से बात भी नही होसकी थी। उनको चिन्ता होरही थु कि उन्हौने खाना भी खाया होगा अथवा भूखे ही ड्यूटी पर होंगे।
बरसात तेज होती जारही थी। पूरे शहर की विजली भी जा चुकी थी अब रात केवल इन्वर्टर पर ही काटनी थी। सविता का दिल जोर जोर से धड़क रहा था उसका मन बहुत चिन्तित था। उसके मस्तिस्क में नाना प्रकार के बिचारौ का मन्थन चल रहा था।
सविता अपनी बेटी को जगाकर भी कुछ कहकर चिन्तित नही करना चाहती थी। उसी समय उसे महसूस हुआ कि उनके घर के तरफ पानी भर गया है। जब सविता छाता लेकर छत पर गयी तब शहर का नजारा देखकर उसका मन भयभीत होगया। उसने शहर का इस तरह का हाल कभी नहीं देखा था।
सविता छत से उतरकर नीचे आई और उसने सबसे पहले रुदाली को जगाया । रुदाली जागकर अपनी मम्मी से पूछने लगी कि क्या हुआ जो आप इस तरह काँप रही हो।?
रुदाली की मम्मी बोली," बेटा बाहर बहुत बुरा हाल है चारौ तरफ केवल पानी ही पानी दिखाई देरहा है। अपना कचछ सामान बचाकर किसी अटैची में रखलो। सारा शहर जलम्गन हो चुका है मुझे तो तेरे पापा की बहुत चिन्ता होरही है वह न जाने कहाँ और किस हालत में होगे। जहाँ उनका आफिस है वहाँ तो बहुत पानी भर चुका होगा।"
रुदाली ने जल्दी जल्दी अपनी जरूरत का सामान एक अटैची में डाला और अपनी छत पर बनी टीन की छतरी के नीचे पडी़ चारपाई पर बैठकर भगवान का भजन करने लगी।
पानी का बेग बढ़ता ही जारहा था। उनके घर में भी पानी घुस चुका था। अब सभीक्षघरौ में पानी ही पानी नजर आ रहा था। बाहर गलियौ में छोटा मोटा सामान तैर रहा था झोपडी़ वालौ का तो और भी बुरा हाल था।
पानी के बेग से ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई बांध टूट गया है जिसका इतना पानी एक साथ आगया है। सभी लोगौ ने अपनी अफनी छतौ पर डेरा डाल रखा था। धीरे धीरे समय कट रहा था परन्तु पानी बरसना अभी भी चालू था। बरसात रुकने का नाम ही नही ले रही थी।
अब पुलिस की गाडि़यौ की आवाजै आरही थी वह अपने लाउडस्पीकर से एनाउन्समैन्ट कर रहे थे कुछ समय बाद यहाँ नावौ का प्रबन्ध किया जारहा है कृपया आप लोग अपने जरूरत के कफडे़ लेकर नाव में बैठने की कोशिश करै जिससे आप सभीको सुरक्षित कैम्प में लेजाया सके।
अब सभी को भरोसा होगया कि यहाँ से निकलने में ही भलाई है। लेकिन सविता को तो अपने पति की चिन्ता सता रही थी कि इस समय वह कहाँ हौगै।
सविता ने रुदाली से कितनी बार उनका नम्बर लगवाया था परन्तु वह स्विच आफ ही आरहा था।
सविता वहाँ से अपने पति के बिना जाने को तैयार नही होरही थी। कुछ समय बाद वहा नाव व हैलीकाप्टर आगये वह छतौ से सभी उतारकर नाव मे बिठाकर सुरक्षित कैम्पौ में ले जारहे थे।
एक एक करके सभी सुरक्षित स्थानौ को जाने के लिए जल्दी कर रहे थे परन्तु सविता और रुदाली को तो अपने पति व पापा की प्रतीक्षा थी। वह उनके बिना घर से अकेले कहाँ जायें
धीरे धीरे पूरे मुहल्ले के लोग सुरक्षित कैम्पौ में जाचुके थे। तब एक सिपाही सविता और रुदाली के पास आकर बोला," मैडम शाम होने वाली है अभी तक पानी कम होने का नाम नही लेरहा। अब आप दोनौ को भी किसी सुरक्षित कैम्प में चले जाना चाहिए। हम आपकी परेशानी को समझ रहे है आप अपने पति की प्रतीक्षा यहाँ कब तक करैगी। कुछ समय बाद यहाँ कोई नजर नहीं आयेगा।तब आपकी सहायता कौन करेगा। मेरी बात मानो आपभी यहाँ से सुरक्षित जगह पर चली जाओ।"
अब सविता के पास इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। इसलिए सविता और रुदाली ने वहाँ से जाने का निर्णय ले लिया।
सविता ने घरको अन्दर से बन्द किया और नाव में बैठकर सुरक्षित कैम्प की तरफ रवाना होगयी। सविता की चिन्ता बढ़ती ही जारही थी। उनको शहर से दूर एक पहाडी़ पर ले जाया गया। वहाँ पर टैन्ट लगाकर सभी को रखा गया था।
खाने के लिए बिस्कुट और खाने के पैकेट भी दिये गये थे।
नोट:- आगे की कहानी भाग 3 में पढि़ये।
मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग २
नरेश शर्मा " पचौरी "
19/07/2022
Mohammed urooj khan
30-Jul-2022 02:12 PM
Nice
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Kusam Sharma
22-Jul-2022 04:44 PM
Nice
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Naresh Sharma "Pachauri"
21-Jul-2022 04:48 PM
सभी को बहुत बहुत धन्यवादजी
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